भाजपा ने हरियाणा लोकसभा उम्मीदवारों की सूची की जारी: करनाल से मनोहर लाल, सिरसा से अशोक तंवर और फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर को टिकट

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फरीदाबाद (नेशनल प्रहरी/ रघुबीर सिंह)। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में 72 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया गया है। इसमें कई केंद्रीय मंत्रियों के भी नाम हैं। 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में नागपुर से नितिन गडकरी और हमीरपुर से अनुराग ठाकुर को टिकट दिया गया है। एक दिन पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले मनोहर लाल करनाल से चुनाव लड़ेंगे।
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की ओर से हरियाणा की दस में से छह सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं। भिवानी से धर्मबीर सिंह, करनाल से मनोहर लाल, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत, फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर, सिरसा से अशोक तंवर, अंबाला से बंतो कटारिया भाजपा के उम्मीदवार होंगे।
मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल और संजय भाटिया का नाम इस बार कट गया है। सुनीता दुग्गल सिरसा लोकसभा से सांसद हैं। उनकी जगह आम आदमी पार्टी से भाजपा में आए अशोक तंवर को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं करनाल से संजय भाटिया की जगह पूर्व सीएम मनोहर लाल को उम्मीदवार बनाया गया है।
सीएम मनोहर लाल विधायकी से दे चुके इस्तीफा: 12 मार्च को हरियाणा की राजनीति के लिए एक बड़ा दिन रहा। इस दिन भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटा और मनोहर लाल ने पूरे मंत्रीमंडल के साथ इस्तीफा दिया था। दोपहर में हरियाणा की पूरी राजनीति बदल गई। नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद बुधवार को पूर्व सीएम मनोहर लाल ने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया और अब उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया गया है।
छात्र जीवन से शुरू हुआ कृष्णपाल गुर्जर का राजनीति सफर: राजनीति के खिलाड़ी कृष्णपाल गुर्जर ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरूआत की थी। बीए, एलएलबी कृष्णपाल गुर्जर नेहरू कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। पार्षद से लेकर सांसद तक का सफर तय करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
कृष्णपाल गुर्जर नेहरू कॉलेज में छात्र संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 1994 में नगर निगम के गठन के साथ ही उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वर्ष 1996 में गुर्जर ने मेवला महाराजपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। पहली बार विधानसभा पहुंचे गुर्जर बंसीलाल सरकार में मंत्री बने। 2000 में फिर से मेवला महाराजपुर से विधायक बने। दोनों बार उन्होंने पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को पटखनी दी थी। मगर वर्ष 2005 में उन्हें महेंद्र प्रताप सिंह के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था। 2008 में मेवला महाराजपुर सीट खत्म कर दी गई तो गुर्जर ने 2009 में तिगांव सीट से चुनाव लड़ा और 818 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी ललित नागर को हराकर तीसरी बार विधायक बने। उसी दौरान वे पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी बने। वर्ष 2014 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट थमाया। मोदी लहर पर सवार कृष्णपाल गुर्जर सारे रिकार्ड तोड़ते हुए प्रदेश में सबसे अधिक 4.66 लाख मतों के अंतर से जीते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने रिकार्ड मतों से अपनी जीत दर्ज कर दोबारा से सीट पर कब्जा किया है। उन्होंने 913222 मत हासिल किए। निकटतम प्रतिद्वंद्वी अवतार सिंह भडाना ने 274983 मत हासिल किए और महेंद्र सिंह चौहान को कुल 12070 वोट मिले। गुर्जर ने 638239 मतों के अंतर से जीत दर्ज की।
सिरसा से अब अशोक तंंवर को लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया गया है। आइए इनके राजनीतिक सफर की चर्चा करते हैं।
अशोक तंंवर का राजनीतिक सफर: अशोक तंवर का जन्म साल 1976 में हुआ था। अशोक तंवर पांच साल और आठ महीने तक हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे। 2009 से 2014 तक सिरसा से सांसद भी रह चुके हैं। हालांकि 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट पर ही हार का सामना करना पड़ा था। अशोक तंवर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रह चुके हैं। सबसे कम उम्र में अशोक तंवर भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने थे। इसके अलावा वह नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया ( एनएसयूआई) के पूर्व अध्यक्ष थे। अशोक तंवर का राजनीतिक सफर एनएसयूआई के कार्यकर्ता के तौर पर शुरू हुआ था।
आप से इस्तीफा देकर BJP में हुए शामिल: आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफे के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा। बता दें कि इससे पहले अशोक तंवर कांग्रेस में थे। बीच में उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई थी और कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस में भी शामिल रहे। बीजेपी ज्वाइन को लेकर अशोक तंवर ने कहा था कि प्रधानमंत्री जो गारंटी देते हैं, उसे वह हर हाल में पूरा करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री की काफी तारीफ की थी।
साल 2019 में छोड़ी थी कांग्रेस: अशोक तंवर ने कहा था कि उन्होंने काफी देखा है कि जो लोग बाबा साहब की फोटो लगाते हैं। वहीं, संविधान पर भरोसा नहीं करते। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को लोकसभा चुनाव में जनता सबक सिखाएगी। अशोक तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी और 2022 में AAP में शामिल हुए थे। भाजपा को उम्मीद है कि तंवर के शामिल होने से हरियाणा में बीजेपी अपने वोट को और मजबूत कर लेगी। खासतौर से वहां जहां जाट सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है।